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सीएम भजनलाल ने अशोक गहलोत पर बोला तीखा हमला, बोले-गहलोत मानसिक संतुलन खो बैठे

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गुजरात के केवड़िया में आयोजित हो रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रशिक्षण शिविर को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा उठाए गए सवालों पर अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तीखा पलटवार किया है। सीएम भजनलाल ने गहलोत के बयान को लेकर उनकी मानसिकता पर सवाल उठाए और कहा कि गहलोत अब मानसिक संतुलन खो बैठे हैं।

गौरतलब है कि अशोक गहलोत ने हाल ही में भाजपा के गुजरात में हो रहे प्रशिक्षण शिविर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “हमारी सरकार जब प्रदेश में संकट के समय होटलों में थी, तब भाजपा नेता गुजरात के केवड़िया घूमने जा रहे हैं।” इस बयान के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुजरात से मीडिया को दिए बयान में कहा, “पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत जी को मैं यही कहना चाहता हूं कि आप अपनी मानसिकता को ठीक कीजिए। आप जिस प्रकार के बयान दे रहे हैं, उससे साफ है कि आप मानसिक संतुलन खो चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण और संगठन का विस्तार हमारी पार्टी की विशेषता है। इससे किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए?”

सीएम शर्मा ने आगे कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है, और समय-समय पर प्रशिक्षण के माध्यम से अपने जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियों का बोध कराती है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेता जब सत्ता में थे, तब खुद उन्होंने प्रशासन को होटल राजनीति में उलझा रखा था। अब जब भाजपा सरकार राज्य में स्थिरता और सुशासन स्थापित करने में जुटी है, तब कांग्रेस बेवजह की आलोचना कर रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाज़ी का स्तर लगातार तल्ख होता जा रहा है। अशोक गहलोत, जो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, भाजपा सरकार की नीतियों और गतिविधियों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा आक्रामक तेवर अपनाते हुए इन बयानों का खुलकर जवाब दे रहे हैं।

भाजपा की ओर से यह भी कहा गया है कि केवड़िया प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य नवनिर्वाचित विधायकों और पदाधिकारियों को पार्टी की विचारधारा, योजनाओं और सुशासन के मॉडल से परिचित कराना है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इस प्रकार के शिविर संगठन की मजबूती और कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन में अहम भूमिका निभाते हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि राजस्थान की राजनीति में गर्मी अभी कम नहीं होने वाली है। एक ओर भाजपा संगठन को सशक्त करने में जुटी है, वहीं कांग्रेस सरकार की नीतियों और गतिविधियों पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है।

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