राजस्थान के उदयपुर को झीलों की नगरी कहा जाता है और यहां स्थित सिटी पैलेस इस शहर की असली पहचान है। अरावली की पहाड़ियों और पिछोला झील के किनारे बसा यह भव्य महल न केवल राजस्थान की राजसी विरासत का प्रतीक है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र भी है। इतिहास, वास्तुकला और संस्कृति का अनूठा संगम देखने के लिए हर साल लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
निर्माण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सिटी पैलेस का निर्माण 1553 ईस्वी में मेवाड़ के राजा महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने करवाया था। उदयपुर शहर की स्थापना के साथ ही इस महल की नींव रखी गई। इसके बाद आने वाले कई शासकों ने इसमें अपनी-अपनी शैली में नए महल, आंगन और भवन जोड़ते गए। यही वजह है कि यहां राजपूत, मुगल और यूरोपीय वास्तुकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। लगभग 400 सालों में यह महल एक शानदार कॉम्प्लेक्स का रूप ले चुका है।
वास्तुकला की अनूठी झलक
सिटी पैलेस की वास्तुकला अपने आप में बेजोड़ है। सफेद संगमरमर, ग्रेनाइट और सुर्ख बलुआ पत्थरों से बने इस महल में विशाल गुंबद, नक्काशीदार खिड़कियाँ, शीशे की सजावट और सुंदर आंगन देखने योग्य हैं। महल के अंदर झरोखे, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास जैसी जगहें राजसी जीवन की गाथा बयां करती हैं। छतों और बरामदों से पिछोला झील का नजारा देखने पर मानो स्वर्गिक अनुभव होता है।
महल के प्रमुख आकर्षण
सिटी पैलेस के भीतर कई छोटे-बड़े महल और दरबार हैं। इनमें से प्रमुख आकर्षण हैं
मोती महल : जहां दीवारों पर मोतियों जैसे चमकदार सजावट की गई है।
शीश महल : रंग-बिरंगे कांच और शीशों से सजा यह महल रात को दीपों की रोशनी में जगमगाता है।
झूलन चौक : जहां त्योहारों और विशेष अवसरों पर राजघराने की झांकियां निकाली जाती थीं।
पृथ्वी विलास और कृष्ण विलास : यहां की पेंटिंग्स और भित्तिचित्र मेवाड़ के युद्ध और प्रेम कथाओं को दर्शाते हैं।
संग्रहालय और गैलरी
आज सिटी पैलेस का एक बड़ा हिस्सा संग्रहालय में बदल चुका है। यहां पर मेवाड़ राजवंश की तलवारें, ढालें, बख्तरबंद कवच, पुराने हथियार और शाही वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अलावा क्रिस्टल गैलरी और ज़ेनाना महल में रखी गई वस्तुएं पर्यटकों को उस दौर की जीवनशैली का सजीव अनुभव कराती हैं।
सांस्कृतिक महत्व
सिटी पैलेस सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत ही नहीं, बल्कि उदयपुर की संस्कृति और परंपरा का भी अहम हिस्सा है। यहां आज भी शाही परिवार रहता है और समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। हर साल मनाया जाने वाला मेवाड़ उत्सव और गंगौर महोत्सव यहां की शान बढ़ा देते हैं।
फिल्मों और शादियों की पसंदीदा जगह
सिटी पैलेस की खूबसूरती केवल पर्यटकों को ही नहीं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री को भी आकर्षित करती है। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। वहीं, आजकल यह महल डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए भी मशहूर है। देश-विदेश के बड़े सितारे और उद्योगपति यहां शाही अंदाज में शादियाँ रचाना पसंद करते हैं।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था
उदयपुर आने वाले लगभग हर पर्यटक की यात्रा सिटी पैलेस के बिना अधूरी मानी जाती है। महल देखने के लिए प्रवेश टिकट, गाइड और गैलरी शुल्क से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिलता है। इसके अलावा आसपास के बाजारों में हस्तशिल्प, पेंटिंग्स और राजस्थानी परिधान खरीदने वाले पर्यटकों से हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी चलती है।
देखभाल और संरक्षण
इतिहास और विरासत को संजोकर रखना आसान नहीं है। राजपरिवार और प्रशासन मिलकर इस महल के संरक्षण और रख-रखाव पर विशेष ध्यान देते हैं। यहां आधुनिक तकनीक से संरचना को सुरक्षित करने और पर्यावरणीय प्रभाव से बचाने के उपाय किए जाते हैं। यही कारण है कि सिटी पैलेस आज भी उतनी ही शान से खड़ा है जितना सदियों पहले हुआ करता था।
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