राजस्थान की सियासत में बयानबाज़ी का दौर लगातार तेज़ हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने तीखा पलटवार किया है। परनामी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीति मजे के लिए नहीं करती, बल्कि उसका मकसद जनता की सेवा करना है।
परनामी ने कहा, “मैं गहलोत साहब को बताना चाहता हूँ कि बीजेपी मजे के लिए राजनीति नहीं करती। हमारी पार्टी की जड़ें जनसेवा में हैं। हम समाज के अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति को न्याय और विकास पहुँचाने के लिए काम करते हैं। गहलोत जी को यह बात समझ लेनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि आज गहलोत इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि प्रदेश में इतनी तेज़ गति से विकास किस तरह हो रहा है। परनामी ने तंज कसते हुए कहा, “गहलोत जी के कार्यकाल में पाँच साल तक केवल कुर्सी की लड़ाई चली। वह अपनी ही पार्टी के अंदर सियासी खींचतान में उलझे रहे और जनता की समस्याएँ पीछे छूट गईं।”
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में एक सभा के दौरान भाजपा सरकार पर टिप्पणी की थी। गहलोत ने आरोप लगाया था कि प्रदेश में दिखावा ज़्यादा और वास्तविक कामकाज कम हो रहा है। उनके इस बयान को लेकर भाजपा नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
परनामी ने कहा कि भाजपा सरकार ने हर क्षेत्र में काम किया है। चाहे सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर हो या स्वास्थ्य और शिक्षा, हर स्तर पर ठोस कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, “आज प्रदेश के गांव-गांव तक विकास की गूँज सुनाई दे रही है। गहलोत जी को यह विकास पच नहीं रहा, इसलिए वे बेवजह बयानबाज़ी कर रहे हैं।”
उन्होंने गहलोत सरकार के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस की पिछली सरकार ने केवल राजनीतिक संकटों में समय गंवाया। परनामी ने कहा कि गहलोत ने अपने कार्यकाल का अधिकांश हिस्सा अपनी ही पार्टी में नेतृत्व संघर्ष और कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में बिताया, जबकि जनता की अपेक्षाएँ पूरी नहीं हो पाईं।
राजस्थान की राजनीति में यह बयानबाज़ी चुनावी माहौल को और गरमा रही है। भाजपा जहां विकास और जनसेवा के मुद्दे पर खुद को आगे दिखाना चाहती है, वहीं कांग्रेस नेतृत्व लगातार मौजूदा सरकार को घेरे हुए है। दोनों ही दलों की इस जुबानी जंग से प्रदेश की राजनीति में नया रंग चढ़ गया है।
परनामी ने अंत में कहा कि भाजपा जनता के भरोसे पर खरा उतरने के लिए दिन-रात काम कर रही है। उन्होंने कहा कि गहलोत को अब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि जनता बदलाव चाहती है और प्रदेश में हो रहा विकास इसका सबूत है।
कुल मिलाकर, गहलोत और परनामी के बीच यह बयानबाज़ी आने वाले समय में और तेज़ होने की संभावना है। सियासी पारा बढ़ चुका है और दोनों ही दल अपने-अपने एजेंडे के साथ जनता को साधने में जुट गए हैं।
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