मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने एक नई योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत राज्य के सभी नगर परिषदों और नगर पंचायतों को 'नमो पार्क' विकसित करने के लिए एक-एक करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। इसे योजना को लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि यह योजना राज्य की ओर से पीएम मोदी को जन्मदिन का खास तोहफा है।
उनके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि इस योजना का लाभ महाराष्ट्र की 394 नगर परिषदों और नगर पंचायतों को मिलेगा। इन सभी जगहों पर बनने वाले पार्क का नाम 'नमो पार्क' रखा जाएगा।
आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा 'नमो पार्क'
इस योजना के तहत न केवल पार्कों का निर्माण किया जाएगा, बल्कि इनमें आधुनिक सुविधाओं का भी समावेश किया जाएगा। बच्चों और बुजुर्गों के लिए अलग-अलग आकर्षण होंगे, वहीं नागरिकों को हरियाली और स्वच्छ वातावरण का अनुभव मिलेगा। राज्य सरकार का मानना है कि इन पार्कों से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को स्वास्थ्य और मनोरंजन की नई जगहें मिलेंगी।
'नमो पार्क' बनाने वाली तीन परिषदों को दिए जाएंगे विशेष पुरस्कार
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि सरकार इस योजना को और रोचक बनाने के लिए प्रतियोगिता भी आयोजित करेगी। यह प्रतियोगिता संभागीय स्तर पर होगी, जिसमें नगर परिषदें और नगर पंचायतें भाग लेंगी। सबसे बेहतर 'नमो पार्क' बनाने वाली तीन परिषदों को विशेष पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। इसके लिए
पुरस्कार राशि भी काफी आकर्षक रखी गई है। पहले स्थान पर रहने वाली परिषद को पांच करोड़ रुपये का पुरस्कार मिलेगा। दूसरे स्थान को तीन करोड़ रुपये और तीसरे स्थान पर रहने वाली परिषद को एक करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। शिंदे ने आगे बताया कि इस प्रतियोगिता का उद्देश्य नगर निकायों को प्रोत्साहित करना है ताकि वे अपने-अपने शहरों में लोगों के लिए बेहतरीन सार्वजनिक स्थल बना सकें।
फिलहाल, राजनीतिक गलियारों में इस योजना को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा समर्थक इसे एक प्रेरणादायी कदम मान रहे हैं, जबकि विपक्षी दल इसे राजनीतिक संदेश से जुड़ी पहल कह सकते हैं। हालांकि, आम नागरिकों के लिए यह योजना जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने वाली साबित हो सकती है। कुल मिलाकर, 'नमो पार्क' योजना प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन को यादगार बनाने का एक अहम् प्रयास है। यह पहल न केवल महाराष्ट्र की शहरी तस्वीर को बदल सकती है।
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